Sunday, 5 May 2019

गैरशैक्षणिक कार्य और शिक्षक का मानसिक स्वास्थ्य

शिक्षण की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपादित करने के लिए शिक्षक का मानसिक रूप से स्वस्थ होना परम आवश्यक है। क्योंकि शिक्षण एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। वर्तमान में विभिन्न मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध भी हो चुका है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली मनोवैज्ञानिकता का दावा करती है लेकिन मनोविज्ञान का प्रयोग, मात्र छात्रों तक ही करना शिक्षा प्रणाली में असंतुलन पैदा करता है। जिस तरह छात्रों की शैक्षिक संप्राप्ति बढ़ाने हेतु विभिन्न प्रकार की प्रणालियों द्वारा उन्हें मानसिक  तथा मनोवैज्ञानिक रूप से संबल प्रदान किया जाता है  ; क्या शिक्षकों के लिए इस प्रकार का स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के बारे में नहीं सोचा जाना चाहिए ?  छात्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक आधार पर जिस तरह अनुकूल वातावरण की पैरोकारी की जाती है उसी प्रकार शिक्षक का मानसिक रूप से तनाव मुक्त होना  छात्रों मेंं शिक्षा का स्तर बढाने का एक महत्त्वपूर्ण आयाम हो सकता है। शिक्षक जब विद्यालय में छात्रों को कोई विषय पढ़ाता है , तो यह प्रक्रिया उसी समय शुरू नहीं होती, जब शिक्षक ने पढ़ाना शुरू किया है । दरअसल वह बिंदु या विषय शिक्षक के अंतर मन में पहले ही शुरू हो चुका होता है कि विषय या अध्याय को किस तरह छात्रों की समझ के अनुकूल बना कर पढ़ाया जाना है । जिससे कि उस विषय के बारे में छात्र बहुत अच्छी तरह समझ पाए । वास्तव में विद्यालय समय शिक्षक के लिए उन सारे तथ्यों के क्रियान्वयन का समय होता है, प्रदर्शन का समय होता है । जो उसने विद्यालय आने से पहले पढ़ाने की योजना के अंतर्गत एकत्रित किए है । केवल स्कूली समय ही शिक्षक के कार्य करने का समय नहीं है । स्कूली समय , पाठ्ययोजना के क्रियान्वयन का समय होता है । शिक्षक को स्कूल समय से पूर्व ही वह सारी सामग्री मानसिक रूप से एकत्रित करनी होती है ।जो कि छात्रों को  प्रदान की जानी है । और अत्यंत महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रकार स्कूली समय से पूर्व ही बनाई गई योजना के अनुसार किया गया शिक्षण अत्यंत प्रभावी होता है । जिसके द्वारा छात्रों में शैक्षिक स्तर बढ़ाया जा सकता है । लेकिन वर्तमान व्यवस्था में प्राथमिक शिक्षक से इतने गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाते हैं जिससे कि उसके  मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव हावी हो जाता है । शिक्षकों से कराए जाने वाले गैर शैक्षणिक कार्यों की लंबी सूची है । जिससे शिक्षक गैरशैक्षणिक कार्यों के मकड़जाल में फंस जाता है । इसका सीधा और खतरनाक असर छात्रोंं की शैक्षिक संप्राप्ति पर पड़ता है ।   इन्हीं गैर शैक्षणिक कार्यों में बी. एल. ओ ड्यूटी एक मानसिक प्रताड़ना की तरह है।  चुनाव , कई प्रकार के सर्वे,तथा विभाग द्वारा मांगी जाने वाली वे सूचनाएं जो कई बार पूर्व में ही दी जा चुकी है । और वेे सूचनाएं विभाग के पास उपलब्ध होतीं है । यह सारी चीजें शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को ध्वस्त करने के लिए काफी होती है । नतीजतन जो योग्य उम्मीदवार लाखों की भीड़ को पीछे छोड़कर अपनी योग्यता के आधार पर इस विभाग से जुड़े थे । जिनके अंदर भरी ऊर्जा की ज्वाला जो इस देश को प्रकाशमान करने का आधार थी। धुआं धुआं हो कर सुलगते सुलगते समाप्त हो जाती है।  दुर्भाग्य है इस देश का कि प्राथमिक शिक्षक सरकारी योजनाओं को लागू करने वाला एजेंट बनकर रह गया है ।
     किसी को यह समझ नहीं आता कि तनावपूर्ण गैर शैक्षणिक कार्यों की बजह से असंतुष्ट शिक्षक किस प्रकार मानकों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर पायेगा ? आज  के समय  शिक्षण का कार्य गौण हो गया है, अन्य कार्य महत्वपूर्ण हो गये है । अगर देश के गरीबों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए कोई भी गंभीरता से सोचता है तो उसे शिक्षक  के मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना होगा। शिक्षक से सिर्फ़ शिक्षण कार्य ही करवाना  होगा।
शिक्षक सिर्फ शिक्षण के लिये ।

Sunday, 7 April 2019

good citizens are the best product of education. वास्तव में अच्छे नागरिक ही शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ उत्पाद है।

  Education is the most important element for the development of any society, country or person. I think that the most important contribution of education in present day can be to provide good citizens to our country. In fact, good citizens are the best product of education. Primary education is the foundation of our lives. Therefore, quality education should be given at the primary level on a psychological basis by qualified and discreet teachers.
Presently, the selection of qualified teachers at the primary level by the government is also being done on the basis of high standards. This is a good step. Those who pass the TET Exam at the primary level are being appointed as primary teachers. Thousands of eligible candidates are selected from a crowd of millions. To say it means that at present the people who are selected by the government in a crowd of millions are those who are in the forefront of the race. They can be called cream. But the surprising fact is that there are teachers appointed on the basis of best qualifications in government primary schools, but the level of education of the students is not found satisfactory, but found unsatisfactory findings. Despite being a qualified teacher, I found it difficult to find the following academic level. Ultimately I decided to go to the nuances of this. I tried to see and understand closely, and am making this blog a medium for public to reveal it as I understand. This is the first step in today's expression of expressing the journey.

Thank you


शिक्षा किसी भी समाज ,देश या व्यक्ति के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व है । मुझे लगता है कि वर्तमान में शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान हमारे देश को अच्छे नागरिक उपलब्ध कराने में हो सकता है। वास्तव में अच्छे नागरिक ही शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ उत्पाद है। प्राथमिक शिक्षा हमारे जीवन की नीव होती है। अतः प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा योग्य एवं विवेकशील शिक्षकों द्वारा मनोवैज्ञानिक आधार पर दी जानी चाहिए।
       वर्तमान में सरकार द्वारा प्राथमिक स्तर पर योग्य शिक्षकों का चयन भी उच्च मापदंडों के आधार पर किया जा रहा है। यह एक अच्छा कदम है । प्राथमिक स्तर पर टेट परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को ही प्राथमिक शिक्षक के रूप  में नियुक्ति दी जा रही है । लाखों की भीड़ में से कुछ हजार योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। कहने का मतलब है कि वर्तमान में  सरकार द्वारा  लाखों की भीड़ में उसे जिनका चयन किया जाता है , वे लोग दौड़ में सबसे आगे वाले होते हैं । उन्हें क्रीम कहा जा सकता है । लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सर्वोत्तम योग्यता के आधार पर नियुक्त शिक्षक हैं, लेकिन छात्रों की शिक्षा का स्तर संतोषजनक नहीं पाया जाता , वरन् असंतोषजनक पाया पाया जाता है । योग्य  शिक्षक होने के बावजूद निम्न  शैक्षिक स्तर का पाया जाना मुझे कचोटने लगा । अंततः मैंने इस की बारीकियों तक जाने का निश्चय किया।  मैंने निकट से देखने और समझने की कोशिश की , और जैसा मैं समझ पा रहा हूँ उसे सार्वजनिक रूप से प्रकट करने के लिए इस ब्लॉग को माध्यम बना रहा हूँ । इस यात्रा की अनुभूति को अभिव्यक्त करने के क्रम में आज पहला कदम है ।

धन्यवाद